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Isaiah - यशायाह

अध्याय : 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66

01. हे सिय्योन, जाग, जाग! अपना बल धारण कर; हे पवित्र नगर यरूशलेम, अपने शोभायमान वस्त्र पहिन ले; क्योंकि तेरे बीच खतनारहित और अशुद्ध लोग फिर कभी प्रवेश न करने पाएंगे।
02. अपने ऊपर से धूल झाड़ दे, हे यरूशलेम, उठ; हे सिय्योन की बन्दी बेटी अपने गले के बन्धन को खोल दे॥
03. क्योंकि यहोवा यों कहता है, तुम जो सेंतमेंत बिक गए थे, इसलिये अब बिना रूपया दिए छुड़ाए भी जाओगे।
04. प्रभु यहोवा यों कहता है, मेरी प्रजा पहिले तो मिस्र में परदेशी हो कर रहने को गई थी, और अश्शूरियों ने भी बिना कारण उन पर अत्याचार किया।
05. इसलिये यहोवा की यह वाणी है कि मैं अब यहां क्या करूं जब कि मेरी प्रजा सेंतमेंत हर ली गई है? यहोवा यह भी कहता है कि जो उन पर प्रभुता करते हैं वे उधम मचा रहे हैं, और, मेरे नाम कि निन्दा लगातार दिन भर होती रहती है।
06. इस कारण मेरी प्रजा मेरा नाम जान लेगी; वह उस समय जान लेगी कि जो बातें करता है वह यहोवा ही है; देखो, मैं ही हूं॥
07. पहाड़ों पर उसके पांव क्या ही सुहावने हैं जो शुभ समाचार लाता है, जो शान्ति की बातें सुनाता है और कल्याण का शुभ समाचार और उद्धार का सन्देश देता है, जो सिय्योन से कहता हे, तेरा परमेश्वर राज्य करता है।
08. सुन, तेरे पहरूए पुकार रहे हैं, वे एक साथ जयजयकार कर रहें हैं; क्योंकि वे साक्षात देख रहे हैं कि यहोवा सिय्योन को लौट रहा है।
09. हे यरूशलेम के खण्डहरों, एक संग उमंग में आकर जयजयकार करो; क्योंकि यहोवा ने अपनी प्रजा को शान्ति दी है, उसने यरूशलेम को छुड़ा लिया है।
10. यहोवा ने सारी जातियों के साम्हने अपनी पवित्र भुजा प्रगट की है; और पृथ्वी के दूर दूर देशों के सब लोग हमारे परमेश्वर का किया हुआ उद्धार निश्चय देख लेंगे॥
11. दूर हो, दूर, वहां से निकल जाओ, कोई अशुद्ध वस्तु मत छुओ; उसके बीच से निकल जाओ; हे यहोवा के पात्रों के ढोने वालो, अपने को शुद्ध करो।
12. क्योंकि तुम को उतावली से निकलना नहीं, और न भागते हुए चलना पड़ेगा; क्योंकि यहोवा तुम्हारे आगे आगे अगुवाई करता हुआ चलेगा, और, इस्राएल का परमेश्वर तुम्हारे पीछे भी रक्षा करता चलेगा॥
13. देखो, मेरा दास बुद्धि से काम करेगा, वह ऊंचा, महान और अति महान हो जाएगा।
14. जैसे बहुत से लोग उसे देखकर चकित हुए (क्योंकि उसका रूप यहां तक बिगड़ा हुआ था कि मनुष्या का सा न जान पड़ता था और उसकी सुन्दरता भी आदमियों की सी न रह गई थी),
15. वैसे ही वह बहुत सी जातियों को पवित्र करेगा और उसको देखकर राजा शान्त रहेंगे; क्योंकि वे ऐसी बात देखेंगे जिसका वर्णन उनके सुनने में भी नहीं आया, और, ऐसी बात उनकी समझ में आएगी जो उन्होंने अभी तक सुनी भी न थी॥

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